🠊 दिलवाड़ा जैन मंदिर (देवल वाड़ा)

🠊 माउंट आबू ( सिरोही जिला) राजस्थान

🠊 5 मंदिरों का समूह

🠊 जैन धर्म को समर्पित

🠊 निर्माण - 11 -13वी शताब्दी, चालुक्य वंश के तेजपाल व वास्तु पाल ने 

🠊 पूर्ण से संगमरमर से बना

🠊 मंदिर को बनवाने में करीब 1200 श्रमिक और 1500 शिल्पकार लगे

🠊 मंदिर में लगभग 48 स्तंभों में नृत्यांगनाओं की आकृतियां बनी हुई है


विमल वसही मंदिर 


🠊 निर्माण :- गुजरात के चालुक्य राजा भीम प्रथम के मंत्री विमल शाह द्वारा 1031 ईस्वी में

🠊 जैन तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित |

🠊 यह मंदिर एक गलियारे में घिरे हुए खुले आंगन में स्थित है जिसमें तीर्थंकरों की छोटी-छोटी मूर्तियां लगी है

🠊 छतों पर कमल कलियां, पंखुड़ियां, फूल, जैन पुराणों के दृश्य उत्कीर्ण है 

🠊 जिसमें श्री आदिनाथ की छवि उकेरी गई है


 लूना वसाही मंदिर 


🠊 नेमिनाथ को समर्पित

🠊 निर्माण - 1230 में दो भाइयों वास्तुपाल और तेजपाल ने किया था ( गुजरात के वाहेला के शासक थे इनकी भाई लूना की याद में)

🠊 मंदिर का मुख्य हाल जिसे रंग मंडप कहते हैं उसमें 360 छोटी-छोटी तीर्थंकरों की मूर्तियां हैं

🠊 हाथी कक्ष में 10 संगमरमर के हाथियों पर पॉलिश करके बनाया गया है

🠊 गुडा मंडप में 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ की काली संगमरमर की मूर्ति है मंदिर के बाई और एक बड़ा काला कीर्तिस्तंभ है जितनी मेवाड़ के महाराणा कुंभा ने बनवाया था

पीतल हार मंदिर 


🠊 अहमदाबाद के सुल्तान दादा के मंत्री भीम शाह ने बनवाया

🠊 इसमें ऋषभदेव की विशाल धातु की प्रतिमा लगी हुई है जो पंच धातुओं से बनी हुई है इसलिए इसे पीतल हार कहते हैं

🠊 इसका वजन 4000 किलोग्राम के लगभग है

🠊 इसमें गर्भ ग्रह गुडा मंडप और नव शौक है

पार्श्व नाथ मंदिर 


🠊 पार्श्व नाथ को समर्पित

🠊 निर्माण - मांडलिक द्वारा 1458 - 59 मैं करवाया

🠊 यह तीन मंजिला इमारत है

🠊 गर्भ ग्रह के चार मुखी के भूतल पर चार विशाल मंडप है

🠊 मंदिर की बाहरी दीवारों पर बलुआ पत्थर में सुंदर शिल्पा कृतियां हैं जिसमें विद्या देवियों यक्ष और अन्य शिल्पांगन है

🠊 इसकी तुलना खजुराहो वह कोणार्क के मंदिरों से होती है

महावीर स्वामी मंदिर

🠊 1582 में का निर्माण करवाया गया

🠊 यह सबसे छोटा मंदिर है

🠊 यह नक्काशी युक्त एक अद्भुत मंदिर है

🠊 इसकी ऊपरी दीवारों पर श्री रोही के कलाकारों द्वारा 1764 में चित्रांकन किया गया



    

أحدث أقدم