Budhist jain and hindu Art

3rd centuryB.C to 8th century A.D

General introduction of art during maurya 325 - 184 B. C
(Also - 323 - 187 B.C, 4 th century)

स्थापना- चंद्रगुप्त मौर्य ने

(चन्द्रगुप्त के पिता चंद्रवर्द्धन मौर्य थे।

राजधानी - पाटलिपुत्र (पटना )

भाषा - संस्कृत, मगधी प्राकृत

धर्म - हिन्दू धर्म ,बौद्ध धर्म ,जैन धर्म, आजीविक

मुद्रा - पण

शैशूनाक वंश चंद्रगुप्त मौर्य ने गुरु चाणक्य की सहायता से मगध राजा नंद को हराकर मगध के शासक बने और वहीं से मौर्य साम्राज्य आरंभ हुआ।

चंद्रगुप्त के मंत्री कौटिल्य (अन्य नाम चाणक्य

पुस्तक - कौटिल्य ने अर्थशास्त्र (नगरों के प्रशासन के बारे में पूरा अध्याय लिखा है।)

मेगस्थनीज - इंडीका
  1. 322–298 ई.पू चन्द्रगुप्त मौर्य
  2. 298–272 ई.पू बिन्दुसार
  3. 268–232 ई.पू अशोक
  4. 232–224 ई.पू दशरथ मौर्य
  5. 224–215 ई.पू सम्प्रति
  6. 215–202 ई.पू। शालिशुक
  7. 202–195 ई.पू देववर्मन
  8. 195–187 ई.पू शतधन्वा
  9. 187–185 ई.पू बृहद्रथ

सिकन्दर की मृत्यु के बाद सेल्यूकस उसका उत्तराधिकारी बना

उसने मेगस्थनीज को राजदूत के रूप में चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में नियुक्‍त किया

बिंदुसार
दक्षिण की ओर साम्राज्य विस्तार का श्रेय बिंदुसार को दिया जाता है
बिंदुसार को वायु पुराण में भद्रसार और जैन साहित्य में सिंहसेन कहा गया है। यूनानी लेखक ने इन्हें अमित्रोचेट्स (संस्कृत शब्द "अमित्रघात = शत्रुओं का नाश करने वाला " से लिया गया )

अशोक
सम्राट चंद्रगुप्त के पुत्र अशोक के समय में कलाओं को विशेष आरक्षण प्राप्त हुआ
पाटलिपुत्र - मौर्य काल में पाटलिपुत्र का विशेष महत्व था ।
चंद्रगुप्त के समय के भवन राज प्रसाद स्मारक लकड़ी के होने के कारण नष्ट हो गए किंतु अशोक के समय में पाषाण स्मारक बने।
अशोक के पूर्व के भवन लकड़ी के ही बनाए जाते थे।(ईंट पत्थर का भी उपयोग हुआ)



राजप्रसाद

पाटलिपुत्र में चंद्रगुप्त का अत्यंत विशाल एवं भव्य राज प्रसाद है जिसकी सभा भवन स्तंभों पर आधारित थी।
फाहयान ने पाटलिपुत्र में अशोक के राज प्रसाद को देखकर कहा कि यह राज महल मनुष्य द्वारा नहीं अभी तो देवताओं द्वारा बनवाया गया है
मेगस्थनीज के अनुसार "ये राजप्रसाद सिरिया राज्य की सूसा और एक बटाना से अधिक सुंदर है".

विशेषता (चमकदार पॉलिश)
अशोक ने कलिंग (अशोक के शासनकाल के 12वें वर्ष में, 261 ईसा पूर्व में, अशोक और कलिंग राज्य के बीच युद्ध छेड़ा गया.)युद्ध के बाद बौद्ध धर्म को अपना लिया था।


अशोक ने अपने स्तम्भलेखों के अंकन के लिए ब्राह्मी और खरोष्ठी दो लिपियों का उपयोग किया।
चन्द्रगुप्त ने पश्चिमी तथा दक्षिणी भारत पर विजय अभियान आरंभ किया। रूद्रदामन के जूनागढ़ शिलालेख में लिखा है कि सिंचाई के लिए सुदर्शन झील पर एक बाँध पुष्यगुप्त द्वारा बनाया गया था। पुष्यगुप्त उस समय अशोक का प्रांतीय राज्यपाल था।

स्तंभ


Monolithic - एक ही पत्थर को तराश कर बनाया
About 17
सारनाथ, सांची, रामपुरवा, निगलिवा, लोरिया नंदनगढ़, इलाहाबाद, रुमबंदेई टोपरा, बखीरा (वैशाली, lion), संकिसा (हाथी , कौशांबी, फर्रुखाबाद )
रूमनदेई टोपरा
                                                                     रूमनदेई टोपरा

संकिसा


चौकी - (abecus) गोलाकार या चोकोर चौकी
Kantha - बैठकी और चौकी के बीच का भाग
बैठकी - उल्टे कमल की आकृति ।इसे घंटा आकृति भी कहा जाता था।
मेखला - लाट के ऊपर की पट्टी जो इकहरी या दुहरी बनी होती थी।
शीर्ष - चौकी के ऊपर पशु आकृति


कला 2 भागों में विभाजित
  1. राज्याश्रित - स्तूप,गुफा, स्तंभ विहार,राजप्रसाद
  2. लोक कला - यक्ष यक्षिणी मूर्ति , मृण मूर्तिया

मूर्तिया


  1. उड़ीसा, पाटलिपुत्र, मथुरा, कुरूछेत्र , विदिशा, वाराणसी से प्राप्त
  2. अशोक के समय टेराकोटा की मूर्तिया भी मिली।
  3. परखम गांव मथुरा से मिली पौने नो फिट ऊंची यक्ष प्रतिमा।
  4. यक्ष यक्षी की मूर्तिया मथुरा ,पटना, शिशुपाल, सोपारा से प्राप्त हुई।
  5. दिल्ली, कलकता, वाराणसी,मथुरा संघ्रालय ने संग्रहित

वास्तुकला
राजप्रसाद , बराबार और नागार्जुनी पहाड़ियो की गुफाएं
बौद्ध स्तूप, शिला स्तंभ

गुफा
बराबार (4 गुफाएं)


नागार्जुनी पहाड़ियो की गुफाएं - (3 गुफाएं)


गया के निकट स्थित हैं।
इनका निर्माण अशोक और उनके पौत्र दशरथ ने करवाया
आन्तरिक दीवारों पर पॉलिश की गई थी।
सुदामा गुफा सबसे प्राचीन है।
ढोलाकर छत (12.2 फुट ऊंची)
लोमस ऋषि -प्रवेश द्वार उत्कीर्ण एवम शिल्प से अलंकृत


2 तिरछे खड़े स्तंभ ,2 हाथियों के साथ
विश्वकर्मा गुफा - सबसे नवीन

नागार्जुन गुफा - 3 गुफाएं
गोपी गुफा यह की वास्तु योजना सुरंग जैसी है।छत ढ़ोलनाकार है।

  • सारनाथ (वाराणसी)











  • धर्म राजिका स्तूप (सारनाथ) 









  • इलाहाबाद कौशांबी ( Sand stone बलुआ पत्थर, Capital lion) 








  • रामपुरवा (चंपारण बिहार, शीर्ष बैल, yellow softstone, Round abecus, राष्ट्रपति भवन)












  • लोरिया नंदनगढ़ (चंपारण बिहार, Capital lion, बलुआ पत्थर polished, स्तंभ की चौकी पर उड़ते हंस )


  • डौली हाथी (उड़ीसा)











स्तूप
  • पत्थर, ईटों का गोल आकृति के आधार पर ठोस गुंबद का आकार स्तूप कहलाता है
  • गौतम बुद्ध की अस्थियों पर 8 स्तूपो का निर्माण
  • सांची स्तूप












  • अशोक ने 3 सदी ई पू
  • ईंटो ने निर्मित
  • लंबाई 54 व्यास 120 ft
  • (व्यास 37.50 mtr , ऊंचाई 23. 25 )
मौर्य ने अपना राजसिंहासन त्यागकर कर जैन धर्म अपना लिया था।चन्द्रगुप्त ने अपने गुरु जैनमुनि भद्रबाहु के साथ कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में संन्यासी के रूप में रहने लगे थे ।
सैनिक प्रबन्ध का सर्वोच्च अधिकारी अन्तपाल कहलाता था।
अन्तिम मौर्य सम्राट वृहद्रथ की हत्या उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने कर दी। इससे मौर्य साम्राज्य समाप्त हो गया।

प्रश्न - चाणक्य का वास्तविक नाम क्या था?
उत्तर - विष्णु गुप्त

प्रश्न -
कलिंग युद्ध तथा उसके परिणामों के विषय में अशोक के कोनसे अभिलेख से सूचना प्राप्त होती है?
उत्तर - तेरहवें बृहद् अभिलेख से

प्रश्न - कलिंग का युद्ध किस किसके बीच हुआ ?
उत्तर - राजा अनंत पद्मनाभ और अशोक

प्रश्न - अशोक ने बौध्य धर्म अपनाने के बाद कितने स्तुपो का निर्माण करवाया ?
उत्तर - 84 हजार स्तूप बनवाए

प्रश्न - मौर्य ने भारत को क्या कहा ?
उत्तर - मौर्य देश

प्रश्न - भारत की महा मुद्रा के रूप में किसे जाना जाता है?
उत्तर - सारनाथ का सिंह स्तभ।
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