शुंग काल
☑ स्थापना - पुष्यमित्र ने। (अंतिम मौर्य सम्राट बृहद्रृथ के सेनापति थे )
☑ समय - 187 ई. पू.(185-73 ई.पू.)
☑ अग्निमित्र, वसुज्येष्ठ, वसुमित्र, आर्द्वक, पुलिंदक, घोषवसु, वज्रमित्र, भागवत तथा देवभूति ।जेड
☑ अंतिम शासक देवभूति शुंग
☑ रामनाथ मिश्र का कथन -मौर्य युग के बाद कला का क्लासिकल युग प्रारंभ होता है ।
☑ शुंग शासकों ने पाटलिपुत्र से विदिशा में अपनी राजधानी स्थापित को थी।
☑ शुंग वंश वैदिक धर्म को मानने वाले थे।
☑ पुष्यमित्र ने अपने राज्य का विस्तार किया और अपने साम्राज्य में विदिशा,साकेत, पाटलिपुत्र जैसे बड़े प्रदेशो को शामिल किया।
☑ पुष्यमित्र द्वारा 2 अश्वमेघ यज्ञ करने का उल्लेख अयोध्या से प्राप्त एक लेख में मिलता है।
☑ पुष्यमित्र के शासन काल में कलिंग का राजा खारवेल था ।कलिंग के हाथी गुफा स्थान पर राजा खारवेल का एक ब्राह्मी लिपि लेख प्राप्त हुआ।
☑ पुष्य मित्र के बाद उनका पुत्र अग्निमित्र शासक बना।महाकवि कालीदास ने ' मालविकाग्निमित्र' नाटक में अग्निमित्र ओर मालविका की प्रेम कथा का वर्णन किया है।
कुषाण काल
☑ स्थापना 15 वी. ई. में हुई
☑ कुषाण वंश का प्रथम शासक कुजुल कडफिसेस था।
☑ कुजुल कडफिसेस ने तांबे के सिक्के जारी किए थे।
☑ विम कडफिसेस को को कुषाण वंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।(सोने और तांबे के सिक्के जारी किए जो यूनानी और ख्ररोष्ठ लिपि में थे।
☑ सबसे प्रतापी शासक कनिष्क थे ।कनिष्क को द्वितीय अशोक भी कहा जाता था।
☑ 78 ईसवी में शक संवत की शुरुआत की थी
☑ भारतीयो के लिए सिल्क मार्ग कनिष्क ने शुरू किया।
☑ राजतरंगिणी के अनुसार कनिष्क ने कश्मीर पर अधिकार कर वहां पर कनिष्कपुर नामक सुंदर नगर बसाया और अनेक बौद्ध विहारो, स्तूपो का निर्माण करवाया।
☑ कनिष्क के शासन काल में चतुर्थ बौद्ध संगीति का आयोजन कश्मीर के कुंडलवन में किया गया था जिसकी अध्यक्षता वसुमित्र और उपाध्यक्षता अश्वघोष के द्वारा की गई थी।
☑ कनिष्क की राजकीय भाषा संस्कृत थी।
☑ कनिष्क के शासन काल में राज्य चिकित्सक चरक थे जिन्होंने चरक संहिता की रचना की थी।
☑ कुषाण शासको के काल में सर्वाधिक
☑ सोने के सिक्के जारी किए।
☑ कुषाण शासको ने महा, देवपुत्र, केसर की उपाधिया धारण की थी।
☑ वासुदेव द्वितीय कुषाण वंश का अंतिम शासक था।
☑ कुषाण कला की विशेषता - विविध रूपों में मानव का सफल चित्रण।
☑ व्यक्ति विशेष की मूर्तियों का निर्माण
☑ गांधार कला का प्रभाव।
☑ यक्ष यक्षिणी नाग आदि की मूर्तियां
☑ जैन तीर्थकर, बुद्ध और बोधिस्तव प्रतिमाएं।
☑ वेदिका स्तंभ,द्वार स्तंभ,तोरण आदि।