सितनवासल की गुफा


Location :- तमिलनाडु 

तंजोर जिले के पद्दूकोटटाई/पद्दुकोटटा से उत्तर पश्चिम की ओर है।

नदी :- कावेरी /कृष्णा नदी

समय :- 600 ई 650 ई(7वी से 9वी शताब्दी)

राजवंश :- पाण्डय राजवंश  (सी शिवराममूर्ति ने पांडय चित्रकला का केंद्र माना है)

धर्म :- जैन धर्म ( सितनवासल  का अर्थ  जैन संतो के सिद्धों का निवास)

अन्य नाम :- अरिहंत ( सबसे पहले  टी एस गोपीनाथ ने ) 

खोज :- श्री  दुर्बिल ने 1934 

धर्म :- जैन धर्म

चित्र :- जैन तीर्थंकरों के चित्र मिलते हैं।

जैन धर्म का सबसे प्राचीन नमूना है :- पंच जैन मूर्तियां, छत और स्तंभों के ऊपरी हिस्से में चित्र मिलते है।

"अर्धनारीश्वर" का चित्र (भगवान शिवअर्धनारीश्वर रूप में,करुणा व शांत भाव प्रदर्शित किए  गए है)

बरामदे की छत पर एक कमल वन का आलेखन भित्ति चित्र पर सरोवर का दृश्य जिस में कमल पुष्प खिले हुए दिखाए गए हैं।

मीन, मकर, कच्छप,  हाथी भैसे और पक्षियों के भी चित्र हैं | 

"सरोवर में कमल" चित्र 

"तीन दिव्य पुरुष आकृतियों को फूल तोड़ते हुए दिखाया है"

"एक गंधर्व" चित्र जिसके हाथ में कमल है

"अप्सरा" का चित्र।

पौने दो चश्म चेहरों का अंकन हुआ है।

चित्रों में पीला, हरा और भूरे रंगो की संगति का प्रयोग किया गया है।

सितनवासल के चित्रों में अजंता के समान ही प्रवाह मान रेखाएं, परिपक्वता देखने को मिलती है।

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