देवी प्रसाद राय चौधरी


जन्म 15 जून 1899
तेजहट, रंगपुर जिला, प. बंगाल
मृत्यु 15 अक्टूबर 1975
मद्रास, तमिलनाडु
चित्रकार, मूर्तिकार, शिक्षक
शैली - प्रभाववादी


प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
✍ 1914 में उन्होंने अपनी पहली पेंटिंग की शिक्षा प्रसिद्ध बंगाली चित्रकार अबनिंद्रनाथ टैगोर के मार्गदर्शन में ली ।

बोइस नामक एक इतालवी चित्रकार से पश्चिमी शैली में जीवन-चित्रण और चित्रांकन के बारे में भी शिक्षा प्राप्त की।

इसके बाद हिरण्मय (हिरोमोनी)रॉय चौधरी के मार्गदर्शन में मूर्तिकला प्रशिक्षण लिया गया, जिन्होंने उन्हें आकृतियों को तराशने के बजाय निर्माण करना सिखाया।

इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरिएंटल आर्ट से भी सम्बन्धित थे।

उन्होंने 1929 से 1957मद्रास स्कूल ऑफ आर्ट प्रिंसिपल के रूप में कार्य किया।

1954 में ललित कला अकादमी दिल्ली के चेयरमैन चुने गए।

1955 में टोक्यो में यूनेस्को द्वारा आयोजित कला गोष्ठी के प्रेसिडेंट और डायरेक्टर रहे।

पुरस्कार
पद्म भूषण (1958)

ललित कला अकादमी के फेलो (1962)

उनकी पहली एकल प्रदर्शनी 1993 में कोलकाता में हुई थी, जिसके बाद भारत में कई प्रदर्शनियाँ हुईं, जिनमें बिड़ला एकेडमी ऑफ आर्ट एंड कल्चर, कोलकाता, जहांगीर आर्ट गैलरी, मुंबई, राष्ट्रीय आधुनिक कला गैलरी, दिल्ली और ललित कला अकादमी, नई दिल्ली।

उनकी विशेषज्ञता मूर्ति को तराशने की बजाय उसे ढालने में थी।

वह फ्रांसीसी मूर्तिकार ऑगस्टे रोडिन के कार्यों से प्रभावित थे ।

कोलकाता में अपने शुरुआती दिनों के दौरान, उन्होंने सर जेसी बोस , पर्सी ब्राउन और मिसेज ब्राउन की प्रतिमाएं बनाईं ।

चेन्नई में रहते हुए उन्होंने सी वी कुमारस्वामी शास्त्री(मुख्य न्यायाधीश, मद्रास उच्च न्यायालय), लॉर्ड एर्स्किन (मद्रास के राज्यपाल),जॉर्ज स्टेनली (मद्रास के राज्यपाल), सीपी रामास्वामी अय्यर, सीआर रेड्डी और सी. अब्दुल हकीम आदि कुछ नाम है। तस्वीरों से बनाए गए चित्रों में एनी बेसेंट, आशुतोष मुखर्जी, सुरेंद्रनाथ बनर्जी, महात्मा गांधी और मोतीलाल नेहरू शामिल थे।

रॉय चौधरी ने टेम्परा, तेल, जल रंग और पेस्टल जैसे विभिन्न माध्यमों के साथ प्रयोग किया। 1930 के दशक में, पश्चिमी कला समीक्षकों ने उन्हें तेल माध्यम में उनके कार्यों के लिए दुनिया के सबसे बेहतरीन चित्रकारों में से एक माना। जैसे ग्रीन एंड गोल्ड (रॉयल एकेडमी ऑफ आर्ट्स, लंदन में प्रदर्शित), आफ्टर द स्टॉर्म (जापानी वॉश तकनीक), निर्वाण, ब्रिज, द पैलेस डॉल, दुर्गा पूजा जुलूस, अभिसारिका

श्रम की विजय
मूर्ति मरीना बीच चेन्नई में स्थित है 1959 में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इसे स्थापित किया गया था। यह प्रतिमा मजदूर वर्ग के परिश्रम और संघर्ष को दर्शाती है

1959 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की 40वीं वर्षगांठ मनाने के लिए यह भारतीय डाक टिकट पर प्रदर्शित हुई


शहीद स्मारक
1967 में भारत छोड़ो आंदोलन(अगस्त,1942) की रजत जयंती मनाने के लिए शहीद स्मारक भी भारतीय डाक टिकट पर दिखाई दिया।

इसमें 7 मानव आकृतिया दिखाई गई है। पहली आकृति जो झंडा पकड़े हुए है वो मंजिल की ओर इशारा कर रही है। पीछे की आकृतियां गिरती हुई प्रतीत हो रही है। uah murti अंग्रेजी द्वारा किए गए अत्याचारों को बयां कृति है। इसका अनावरण 1956 में किया गया था । यह अब पटना में सचिवालय भवन के बाहर स्थित है।


स्वतंत्रता स्मारक
यह स्मारक अनेकता में एकता का प्रतीक है। इसमें 11 आकृतियां है।यह सरदार पटेल मार्ग दिल्ली पर स्थित है।इसे 1982 में स्थापित किया गया था |

➤ भूटिया औरत
तिब्बत की बालिका
नेपाली लड़की
यात्री
पुजारिन
खतरनाक मार्ग
शहीद स्मृति
तूफान के बाद
पुल
दुर्गा पूजा शोभायात्रा
ग्रीन एंड गोल्ड
कौतूहल
जीवन
पशु अध्ययन
आरती
हरा और सुवर्ण
अभिसारिका
श्रम की विजय (मूर्ति)
एक कैदी
रासलीला
टोपी

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