अभिलेख (Inscription)

स्तंभों, शिलाओं, ताम्रपत्रों, मुद्राओं, मूर्तियों, मंदिरों की दीवारों इत्यादि पर खुदे हुए लेख को अभिलेख कहते है।

शिलालेख :- शिलालेख का मतलब शिलाओं पर खुदे हुए लेख होते हैं।
अभिलेखों का अध्ययन पुरालेखशास्त्र (Epigraphy) कहलाता है।
भारत के प्राचीन अभिलेख मुख्यत : ब्राह्मी और खरोष्ठ लिपि में उत्कीर्ण है।
अशोक के अभिलेख प्राकृत और पाली भाषा में है।

शुंग कालीन अभिलेखों में संस्कृत का प्रयोग किया जाने लगा।
सबसे पुराना अभिलेख बागजकोई अभिलेख है।
इसका निर्माण मितनवी शासको द्वारा करवाया गया था ।
यह अभिलेख मध्य एशिया से प्राप्त हुआ।(यह अभिलेख भारत में नहीं है किंतु उसने भारतीय संस्कृति का वर्णन किया गया है।
भारत का सबसे पुराना अभिलेख हड़प्पा काल का माना जाता है, जिसे अभी तक नही पढ़ा जा सका है |
प्राचीनतम पठनीय अभिलेख सम्राट् अशोक का है, जिसे पढ़ने में 1837 ई० में जेम्स प्रिंसेप को सफलता मिली थी।
सर्वाधिक अभिलेख मैसूर में पुरालेख शास्त्री के कार्यालय में संग्रहित है |
अशोक के अभिलेखों का उद्देश्य धर्म का प्रचार करना था।

हाथी गुफा अभिलेख ➺ कलिंग राजा खारवेल (राजा खारवेल के विजय अभियान का वर्णन)
( तिथि रहित अभिलेख)
जूनागढ़ (गिरनार) अभिलेख रुद्रदामन (रुद्रदामन के वयक्तितव से सम्बन्धित)
नासिक अभिलेख गौतमी बल्लश्री
प्रयाग स्तम्भ/ प्रयाग प्रशस्ति अभीलेखसमुंद्र गुप्त (इसे स्मुन्द्रगुप के राजकवि हरिषेंन द्वारा लिखा गया था।
एहोल अभिलेख पुल्केशीन द्वितीय (चालुक्य पुलकेशिन की विजय का उल्लेख)
मंदसोर अभिलेखयशोवर्मन (मालवा नरेश) इसके आरंभ में शिवशंकर की जय घोष की गई है।
ग्वालियर अभिलेख प्रतिहार नरेश भोज
भीतर गांव/ भीतरी स्तंभ अभिलेख स्कंदगुप्त (स्कंदगुप्त और हूणे के आक्रमण का वर्णन)
देवपाडा विजय सेन (बंग शासकों के बारे में जानकारी)
एरन अभिलेख भानुगुप्त (भानुगुप्त के सेनापति गोपराज का वर्णन
मास्की अशोक
गुर्जर अभिलेखअशोक
बेसनगर का गरुड़ स्तंभ अभिलेख यवन राजदूत हेलियोडोरस के भागवत धर्म स्वीकार करने का वर्णन मिलता है।
महरौली लोह स्तम्भ अभिलेख दिल्ली (महाराजा चंद्र का उल्लेख)
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