जन्म - 1921  चिटागोंग (बांग्लादेश)

 मृत्यू - 2006 शांतिनिकेतन 

 म्यूरल, चित्रकार, छापा चित्रकार, मूर्ति शिल्पकार इन्हें 'जख्मों का कलाकार' कहा जाता हैं 

 कथन - 'मै तस्वीर नहीं बनाता, जख्म बनाता हूं

 कला शिक्षा - गवर्मेंट कॉलेज ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट से 1950 में (लिथोग्रापी ओर प्रिंटमेकिंग सीखी) कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य
 

 1954 - 1958 = कोलकाता कॉलेज ऑफ आर्ट में प्रधानाध्यापक के पद पर

 1958 में वरिष्ठ अध्यापक के पद पर कार्यरत

 दिल्ली कॉलेज में ग्राफिक प्रोफेसर थे | 
आपने प्रिंटमैकिंग के क्षेत्र में खुद ही तकनीकी खोज की इसको पल्प प्रिंट तकनीक (pulp print technique) कहते हैं जिसका प्रयोग उन्होंने अपनी वाउंड (Wound) सीरीज के प्रिंट में किया है 

 1960 में  'सोसाइटी ऑफ कंटेंपरेरी आर्टिस्ट' से जुड़े 

 चीनी काष्ठ चित्रकारी से प्रेरणा लेकर काष्ठ मुद्रण किया

 1947 में सांप्रदायिक सद्भाव पर काष्ठ मुद्रण(महात्मा गांधी के अभीभाषण दृश्य सम्मेलन)

 1943 के बंगाल अकाल और तेभागा आंदोलन पर रेखाचित्र, प्रिंट  बनाए

 चित्राप्रसाद से प्रभावित होकर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के अखबार 'जनयुद्ध ' में अकाल ग्रसित लोगो के लिए चित्र बनाकर भेजे।

 इन चित्रों में मानव और पशुओ को अस्थि पंजरो (कंकाल) तथा जख्मों को अभिव्यक्त किया।

 वह जर्मन प्रिंटमेकर कैथ कोलविट्ज़, ओस्कर कोकोस्चका (ऑस्ट्रेलिया) की शैली से प्रभावित थे। 

 1970 के दशक में मूर्तिकार बने (मूर्तिया अकाल, युद्ध, व्यथा को दर्शाती)
लॉस्ट वैक्स प्रॉसेस में कार्य किया। लास्ट वेक्स प्रोसेज के माध्यम से व्यथित व वियतनाम के स्वतंत्रता संग्रामियों को तराशा, कांस्य ढलाई पद्धति, हवा में बनने वाले छेद, इधर उधर से निकले पाइप, पशु व मानव के अस्थि पंजरों का निर्माण करते थे। उनके द्वारा बनाये गए मूर्तिशिल्प जीवंत प्रतीत होते हैं।

 प्रिंटमैकिंग के क्षेत्र में खुद ही तकनीकी खोज की जिसे पल्प प्रिंट तकनीक(pulp print technique) कहते हैं जिसका प्रयोग उन्होंने अपनी वाउंड (Wound) सीरीज के प्रिंट में किया है 

 चित्र - 1970 वुडस श्रंखला - पेपर पल्प प्रिंट 
सफेद पर सफेद प्रिंट

 1950  तिभाग श्रंखला - drawing & woodcut (चीनी सोशलिस्ट रियलिज्म और जर्मन एक्सप्रेस न्यूज़ में से प्रभावित)

 1991 गुस्सा (मूर्तिशिल्प)

 1974 - मदर एंड चाइल्ड, ब्रोंज (वियतनाम के लोगों के संघर्ष को दर्शाता)
  • खजुराहों , अनटाइटील्ड (ink on paper)
  • नाइंथ सिंफनी, दी अनटाइटल्ड हेड, दी डॉग
  • Dream, standing girl in grief 

प्रदर्शनी
  1. न्यू दिल्ली
  2. मुंबई
  3. लंदन
  4. ओमान
  5. कोलकाता

पुरूस्कार 
✍ 1960, राष्ट्रीय पुरस्कार (पेंटिंग केमपेनियन) 
✍ 1962 राष्ट्रीय पुरस्कार(बर्थ ऑफ व्हाइट रोज)
✍ 1977  L.N. गुप्ता मेमोरियल अवॉर्ड
✍ 1984 गगन अबानी पुरूस्कार, कोलकाता
✍ 2004 ललित कला रत्ना पुरूस्कार
✍ 2007  पद्मभूषण


















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