Location -महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले में।
अजंता एक घाटी में स्थित है यह घाटी सतपुडा से 7 कुंडो में गिरती हुई बाघोरा नदी को काटती है।
विंध्याचल पर्वत की सहयाद्रि श्रेणी पर अर्धचंद्राकार पहाड़ी।
प्राचीन नाम - अजिस्था
प्राचीन बौद्ध ग्रंथ ' महा मयूरी ' में अजितजन्य
Period - 1819 ई. John Smith
1824 में L. जेम्स ई. एलेकजेंडर ने
क्षेत्रफल - 600 गज
No.of cave -30
चैत्य गुफाएं - 5 ( 9,10,19,26,29)
विहार गुफाएं -25 (संघाराम भी कहते है)
चैत्य गुफाएं पूजा के लिए(यहां और चिता के अवशिष्ट फूल रखे जाते थे) ,विहार गुफाएं बौद्ध भिक्षुओं के निवास स्थान होते थे।
हीनयान - 8,9,10,12,13,15
महायान शेष गुफाएं ।
विषय - बौद्ध (जातक कथाए)
तकनीक - फ्रस्को ब्रुनो और फ्रेस्को सेक्को
गुफाएं ऊपर से नीचे की तरफ उत्खनित है(ग्वाक्ष, छत, खंबे, भीतिया)
पहली गुफा सबसे बाद में चित्रित
मौर्य कालीन काष्ठ भवन निर्माण के नमूने पर बनाया गया है
अजंता की गुफाएं पूर्व से पश्चिम की तरफ है।
प्रतिकृति - 1824 में जेम्स एलेकजेंडर बने इनका विवरण तैयार किया जो 1829 में लंदन के ट्रांजेक्शन ऑफ रॉयल एशीयायटिक सोसाइटी में प्रकाशित हुआ।
रॉबर्ट गिल की अध्यक्षता में 1845 और 1866 के मध्य केवल 30 अनुकुर्तियां बनाई गई ।
जेजे स्कूल ऑफ आर्ट के प्राचार्य जॉन ग्रिपथस ने 1872- 1885 के बीच प्रतिलिपिया बनवाई।
1909 से 1911 के बीच लेडी हरिघम के निर्देशन में सैय्यद अहमद, मोहमद फजलुदीन, असित कुमार हलदार, नदलाल बसु, समरेंद्र नाथ गुप्त ने चित्रों की प्रतिलिपिया तैयार की।
(इन्हे 1915 में इंडिया सोसाइटी ने अजंता फ्रेस्कोज नाम से प्रकाशित कराया।
ग्रंथ - दी पेंटिंग ऑफ अजंता,अजंता पेंटिंग्स,अजंता मयूरल्स।
रंग - रंग स्थानीय वनस्पति से तैयार किए गए।(जैसे गेरू, रामरज,खड़िया, सीप,काजल,पीली मिट्टी।)
मिट्टी में गोबर व धान की भूसी, रेत, वनस्पति के रेशे, गोंद, सरेस का घोल आदि मिलाया जाता था।
फ्रस्को म्यूरल पद्धति अपनाकर उभारा गया।
विषय वस्तु -जुलूस, हाथी, घोड़े के चित्र बने हुए है
रेखाओं का अंकन कुशलता के साथ।
कदली, अशोक,साल, बरगद,पीपल आदि वर्षो का चित्रण।
अलंकरण का प्रयोग
मुद्राएं - विभिन्न प्रकार की हस्त मुद्राओं व अभिनव मुद्राओं का अंकन।
हाथों में कमल पुष्प,वस्त्र,चवर,मधुपात्र,वाद्य यंत्र दिखाए है।
अजंता गुफा शक- सातवाहन, चालुक्य, वाकाटक, कुषाण,गुप्त राजवंशों के समय बनी।
गुफा 1 - बोधिसत्व पदमपाणी, पदम पाणी अवलोकितेश्वर,काली राजकुमारी,शिव जातक,नागराज की सभा, श्रावस्ती का चमत्कार,चिटियो के पहाड़ पर सांप की तपस्या, बैलों की लड़ाई,नंद की दीक्षा, चंपेय जातक, महाजनक जातक, पुल्केशीन द्वितीय के दरबार में ईरानी राजपूत, शिवि जातक।
गुफा 2 - माया रानी का स्वपन, सर्वनाश,तीन बोधीसत्व, महाहंस जातक,विदुर पंडित जातक, छत पर शामियाने की तरह अलंकरण, हंस जातक, क्षमा याचना, दो बाएं अंगूठे वाली नारी, बुद्ध के सात कदम, सुनहरे मृग का उपदेश, एक हजार बुद्ध,झूलती राजकुमारी, बुद्ध जैन
गर्भगृह में बुद्ध की धर्मचक्र मुद्रा में प्रतिमा
गुफा 9 - इसमें बुद्ध मूर्ति नहीं हैं एक तीन छतरी के शीर्ष वाला (ठोस हार्मिक) वाला पाषाण स्तूप है।
श्रवण कुमार की कथा, चरवाहे का दृश्य, खाली सिंहासन,स्तूप जातक,नाग राजा,श्याम जातक
गुफा 10 - बोधि वृक्ष,श्याम जातक,स्तूप जातक,हस्ती जातक,नंद की कथा, विरह में व्याकुल रानी, छदंत जातक,आम का वृक्ष,कमल वन में क्रीड़ा।
गुफा 16 - प्रवेश द्वार पर नागराज की मूर्ति
मरणासन्न राजकुमारी, सुजाता की कथा, अज्ञात शत्रु ,लुंबिनी वन, माया देवी का स्वपन ,नंद की दीक्षा, बुद्ध जन्म के साथ पद ,बुद्ध का उपदेश ,आकाशवाणी अप्सरा, हस्ती जातक ,महाउमंग जातक, सूत सोम जातक।
गुफा 17 - पूर्ण चित्रित गुफा
इसका निर्माण वाकाटक राजा हरिसेन के काल में हुआ।
छंदत जातक,हंस जातक,माता - पुत्र, सिंहला वादन ,प्रेम आत्मा ,संसार चक्र और भाव चक्र, यशोधरा का मिलन, श्रृंगार करती राजकुमारी, उड़ते हुए गंधर्व ,महाकवि जातक , सुत सोम जातक, मातृ पोषक जातक, श्याम जातक, महिषजातक, ब्राह्मण जातक, विस्वंतर जातक, हंस जातक,श्रावस्ती का चमत्कार,बुद्ध के कपिलवस्तु लोटने का दृश्य।