Lion capital - सारनाथ
प्राचीन नाम -ऋषिपतन/ मृगदाव
मृगदाय में सारंगनाथ महादेव की मूर्ति की स्थापना हुई और स्थान का नाम सारनाथ पड़ गया।
ज्ञान प्राप्त करने के बाद गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश यहीं पर दिया था। सम्राट अशोक के समय में यहाँ बहुत से निर्माण-कार्य हुए।
मौर्य काल
polished sand stone
Time - Circa 3rd century B.C
मौर्य कालीन सर्वश्रेष्ठ कृति जिसे स्वतंत्र भारत की महामुद्रा के रूप में ग्रहण किया है।
लंबाई 7 feet (2.1 mtr)(इसका वजन लगभग 50 टन के आस पास माना जाता है
अशोक द्वारा निर्मित।
5 components
1. मुख्य शिला स्तंभ 9जो अब टूटकर खंडित को चुका है
2. सबसे पहले कमल के फूल का आधार
3. गोल चौकी पर 4 धर्म चक्र और इनके बीच बीच में चार पशु घोड़ा,हाथी,बैल,सिंह अंकित है।चारो दिशाओं में(clockwise) दौड़ते हुए आंके गए हैं जिन्हे चारो दिशाओं का प्रतीक भी माना गया हैं
इनके बीच में अशोक चक्र भी बना हुआ हैं
घोड़ा - पश्चिम (ऊर्जा और गति का
बैल- East (कठिन परिश्रम और मेहनत का प्रतीक
हाथी - दक्षिण (नेतृत्व ,रॉयल
सिंह - उत्तर
(इन्हें देश के रक्षक भी माना जाता है)
4 मूल स्तंभ के शीर्ष पर चार शेर एक-दूसरे से पीठ सटाए खड़े हैं, जिसे सिंहचतुर्मुख कहते हैं।
5 इन सिंह शीर्ष का सबसे ऊपरी भाग एक 24 तिलियो वाला धर्म चक्र है जो अब खंडित अवस्था में सारनाथ संग्रहालय में है ।
यह स्तम्भ भगवान बुद्ध के प्रथम धर्मोपदेश के स्मारक के रूप में 242 ई. पू. से 282 ई. पू. (के मध्य स्थापित किया गया था।Collection - सारनाथ musseum
1950 को 'सत्यमेय जयते' के ऊपर अशोक के सिंहचतुर्मुख की अनुकृति को भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में स्वीकार किया गया।
मुण्डकोपनिषद का सूत्र 'सत्यमेव जयते' देवनागरी लिपि में अर्थ है- 'सत्य की ही विजय होती है'।'
दीदारगंज (पटना)
3rd शताब्दी ,मौर्य कालीन
नारी सौंदर्य की सूक्ष्म अभिव्यक्ति
ओपदार लाल बलुआ पत्थर
मूर्ति के दाहिने हाथ में चवर है। बाया हाथ टूटा हुआ है
चेहरा और कपोल गोल गोल दिखाए गए हैं
केश राशि गुथी हुई।
हाथ की कलाई में चूड़ियां और कंगन है।
गले, कमर, पैरो में मोती के आभूषण पहने है।
वस्त्रों की वस्त्रों की चुननटें लहरदार रेखाओं से बनाई गई है।
दाहिने हाथ में पकड़ी हुई चौरी को प्रतिमा की पीठ पर रेखाओं के रूप में दिखाया गया है।1
चौकी की ऊंचाई लगभग 1 इंच
पटना संग्रहालय की स्थापना 1917
स्थानीय नाम - जादू घर