Art of Indus valley



 Period -2500 BC to 1500 BC मार्टिमर व्हीलर

 2700 BC to 1700 BC अर्नेस्ट मैक

 2300 BC to 1750 BC कार्बन डेटिंग

 3200BC to 2700 BC प्रो मार्शल


Location - सिंधु घाटी में

दक्षिण एशिया के पश्चिमी भाग में  (वर्तमान में पाकिस्तान और पश्चिमी भारत के नाम से जाना जाता है)


Extension - In about 1500  miles

⇨ सिंधु सभ्यता के प्रमुख देवता पशुपति शिव थे |

⇨ सिंधु सभ्यता को अन्य नाम मृण पात्रों की सभ्यता, पकाई गई मिट्टी के बर्तनों की सभ्यता।

⇨ सिंधु सभ्यता की लिपि चित्र या  चित्राअक्षर लिपि |

⇨ 396 चिन्हों का प्रयोग हुआ है |

⇨ सिंधु लिपि में प्राप्त सबसे बड़े लेख में 17 चिन्ह थे।

⇨ सिंधु सभ्यता में पीपल पेड़ का सर्वाधिक अंकन।

⇨ सिंधु सभ्यता में वृषभ का सर्वाधिक अंकन मिलता है।

⇨ सिंधु सभ्यता में मिट्टी के बर्तन चाक पर बनाए जाते थे।

⇨ सिंधु सभ्यता की लिपि दाएं से बाएं से लिखी जाती थी।

⇨ सिंधू सभ्यता के निवासी शाकाहारी और मासाहारी भोजन करते थे।

⇨ मनोरंजन के साधन - पासे का खेल, शिकार, नृत्य, पशुओ की लड़ाई।


हड़प्पा



➠ खोजा  1878 में पुरातत्वविद श्री कनिंघम ने

➠ खुदाई - 1921 दयाराम साहनी

➠ रावी नदी के तट पर 

➠ मोंटगोमरी जिला पंजाब (पाकिस्तान)

➠ हड़पा को सर्वप्रथम सिंधु सभ्यता नाम दिया जान मार्शल ने ।

➠ हड़प्पा में योजनाबद्ध नगर, अनाज भंडार, स्नानागार, 

 सबसे बड़ी इमारत अन्नागार -कुल 12 कमरे।

 ➠ प्रसिद्ध - मोहरे (टेराकोटा ) पक्की मिट्टी की बनी होती थी |

 ➠ मूर्तियों की निर्माण विधि - चिकोटी पद्वति |

➠ हड़प्पा राजमार्ग का फर्श बना होता था -  ईंट का |

➠ राजमार्ग की चौड़ाई 33 फुट |

➠ ईटों का आकार L आकार |

➠ ईंटे जलोढ मिट्टी की बनी होती थी |

➠ बर्तन भांडो पर मानव आकृति नहीं मिली |

➠ मृतिका पात्र के ढक्कन पर आलेखन में दो हिरण अंकित पृष्ठभूमि - काली चित्रकारी लाल रंग से

➠ पुरुष नर्तक काले रंग के पत्थर से। नटराज का घोतक। दाहिने पैर पर खड़ा हुआ बाया पैर नृत्य मुद्रा में ऊपर उठा हुआ ।

➠ मां के साथ जुड़वा बालकों की मूर्तियां, सिर हिलाने वाले कुकुदमान, दो त्वंगी वृषभ, हाथी, गैंडा, सूअर, सलाई पर चलने वाले बंदर, सिटी वाली चिड़िया ।

➠ 6 लड़ी का सोने के मनको का हार मिला है।

➠ एक बोतल में काले रंग की वस्तु जो काजल का प्रतीक मानी जाती है।


अंत्येष्टि के प्रकार

पूर्ण स्माधिकरण आंशिक समाधिकरण दाह संस्कार


हड़पा में कब्र में एक ताबूत मिला है।

रंगों में पशुओं की चर्बी व पशुओं के पुट्ठे की हड्डी को प्याली के समान इस्तेमाल करते थे।

स्वास्तिक चिन्ह हरप्पा सभ्याता की देन है।


 मोहनजोदड़ो



➠ खोज  1922 रखालदास बनर्जी

➠ सिंध के लरकाना जिले में 

➠ नदी -   सिंधु

➠ मोहनजोदड़ो को 7 बार नष्ट किया गया।

➠ एक दाढ़ी वाली योगी    (पत्थर से)

➠ नेत्र समाधि अवस्था में

➠ त्रिफुलिया वाले उत्तरीय ओढ़े हुए।

➠ पुजारी की मूर्ति पत्थर में बनी हुई।( सर भारी, जबड़े चौड़े, होठ भद्दे, तस्तरी नुमा कान)

➠ एक बैठी हुई रहित मूर्ति पत्थर से बनी।

➠ विशाल स्नानागार ( the great bath) 30×29×8

➠ स्नानागार  के पश्चिम में बरामदा नहीं है ।

➠ उत्तर और दक्षिण में सीढ़िया बनी हुई हैं।

➠ स्नानगार में प्रवेश द्वार है   6

पशुपति की मोहर 



➴ योगी की मुद्रा में ,चार पशुओं से आवृत देवता का अंकन चीता,हाथी(दाई ओर)

 गेंडा, भैंसा(बाई ओर)

 संगमरमर के साक्ष्य मिले हैं।

 मिट्टी की तीन मोहरे प्राप्त हुई हैं।

 टिकरे में नाव का रेखा चित्र।

 कुंभकार के छह भट्टे व तांबे के ढेर ।

 मोहरे पर पशुपति शिव का चित्र |

मोहनजोदड़ो की सभ्यता को मेसोपोटामिया तथा सुमेरियन सभ्यता के समान माना जाता है |

हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में वास्तुकला का प्रचलन था यह वहां के भवनों के अवशेषों, स्नानागार ,सड़कों ,नालियों से पता चलता है।

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