सिंधु घाटी सभ्यता


➤ समय - प्रोफेसर मार्शल - 3200  ईसा पूर्व से 2700  ईसा पूर्व
➤ अर्नेस्ट मैक :- 2700 ईसा पूर्व से 1700 ईसा पूर्व
➤ मार्टीमर विहीलर :-  2500 ईसा पूर्व से 1500 ईसा पूर्व  
➤ कार्बन डेटिंग :- 2300 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व
➤ विस्तार - 13 लाख वर्ग किलोमीटर  (अब तक लगभग 1500 स्थल खोजे जा चुके है )
➤ तुलना :- मिस्र और मेसोपोटामिया की सभ्यता से 
➤ नगर 2 हिस्सों में बाटे हुए होते थे 
1. ऊपरी टीला (दुर्ग )
2. निचला टीला (पूर्व टीला )
➤ खोज :-  1924 में सर जॉन मार्शल और डॉक्टर एरनेस्ट मेक
➤ नाम - सिंधु घाटी सभ्यता, मृण पत्रों की सभ्यता, मिट्टी के बर्तनों की सभ्यत, कांस्य युगीन सभ्यता | 
➤ उत्तर - मांडा                                पूर्व आलम गिर पुर   
➤ दक्षिण - डाइमा बाद                     पश्चिम सूत कांगे डोर 


लिपि - भाव चित्रात्मक लिपि (396 चिन्ह) पहले पंक्ति दाएं से बाएं और दूसरी पंक्ति बाएं से दाएं 


➤ नापतोल की इकाई 16 के अनुपात में
➤ मोहरे - वर्गाकार, पकाई मिट्टी (सेलखड़ी), नीले व सफेद पत्थर की उभरी हुई आकृति की मोहरे मिली हैं इन मोहरों पर एक सिंह वाले बेल गैंडा, हाथी, बकरा, भैंसा आदि की आकृतियां मिली है 

( मोहरों का उद्देश्य व्यापार या वाणिज्य)
➤ सिंधु घाटी में भवनों का निर्माण पक्की ईंटों से
➤ सिंधु काल में नारी की मूर्तियों के चेहरे पर कोमलता के स्थान पर कुरूपता के भाव दर्शाये हैं
➤ भोजन - शाकाहारी या मांसाहारी जो मटर तेल सरसों कछुए का मांस
➤ खेल - पासा का खेल, नृत्य, शिकार, पशुओं की लड़ाई
➤ सूती वस्त्र का उल्लेख

मृदभांड - चाक पर मिट्टी के बर्तन, कुछ घुंडी दार पात्र, लाल चिकनी मिट्टी के बर्तन, उन पर काले रंग से चित्रकारी बहुरंगी मृदभांड बहुत कम मिले हैं | कांच का औप चढ़ाने की प्रक्रिया सबसे पहले सिंधु घाटी सभ्यता में
मृदभांड के ऊपर ज्यामितीय आकृतियां और पशुओं के चित्र बने हैं



आभूषण - पक्की हुई मिट्टी, धातु , हड्डी आदि के बने हुए होते थे
गले की हार, तांबे के कड़े और मनके, झुमके, कुंडल सेलखड़ी के मनके, पैरों के कड़े आदि मिले हैं (हरियाणा के फरमाना पुरास्थल से एक शवाधान पाया गया है जिसमें कि शवों को गहनों के साथ दफनाया गया है)



➤ मृण मूर्तियां - सिर हिलने वाले कुकूदमान दो त्वंगी वृषभ, सलाई पर चलने वाले बंदर, सीटी वाली चिड़िया, पशु पक्षियों की आकृतियां खेलने के पासे, मातृ देवी की मरण मुर्तिया आदि मिले हैं | 
➤ रंग - खनिज रंगों का प्रयोग, काजल, खड़िया गेरू आदि तूलिका के लिए, रेशेदार, लकड़ी, बांस आदि के एक सिरे को कूटकर बनाई जाती थी | रंगो में पशुओं की चर्बी मिलते थे | पशुवो के पुट्ठे की हड्डी को प्याली के रूप में प्रयोग करते थे |  
➤ विनाश के कारन :- बाढ़ 


हड़प्पा 

➤ 1878 में श्री कनिंघम ने खोज की | 
➤ उत्खनन कर्ता :- दयाराम सहानी 1921
➤ रावी नदी के किनारे
➤ स्थान - मोंटगोमरी (पंजाब) 
➤ ऋग्वेद में हरीयूपिया के नाम से पुकारते थे

सड़के पक्की, राजमार्ग की चौड़ाई- 33 फुट 
 दरवाजे गलियों की तरफ खुलते थे | 





स्वास्तिक हड़प्पा सभ्यता की देन है 




L आकार की ईंटों का प्रयोग
मातृसत्तात्मक सभ्यता

➤ अन्ना गार - 12 कमरे (सबसे बड़ी इमारत )
➤ पश्चिमी टीले में श्रमिक आवास मिले है | 
➤ 18 वार्ता कार चबूतरे 
➤ कब्रिस्तान - R 37 
➤ स्त्री के गर्भ से निकलते हुए पौधे का चित्र 



मनुष्य धड़ :-  ये मूर्ति लाल पत्थर से बनी और ओपी गई है|  मासपेशियो में गठन है |
समय :- 2500 से 2000 ईशा पूर्व 
राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली में संग्रहित है





हड़प्पा से प्राप्त वस्तुऐ

➤ हाथी का कपाल
➤ ओखली
➤ श्रमिक आवास
➤ सर्वाधिक लेख युक्त मोहरे 
➤ तांबे से निर्मित मानव आकृति
➤ काशे कि इक्का गाड़ी
➤ लकड़ी के ताबूत में शवाधान 
➤ ताम्र निर्मित सिंगारदान
➤ मृतिका पात्र के ढक्कन पर एक आलेखन में दो हिरण अंकित
➤ मां के साथ जुड़वा बालकों की मृण मूर्ति
➤ मनुष्ये को बकरे के साथ दफ़नाने के साक्ष्य
➤ पेरो में साप दबाये गरुड़ की मूर्ति 
➤ शवाधान  - हड़प्पा की लाशें पूरी थी और दफनाए जाती थी



मोहनजोदड़ो 

सिंधु नदी
➤ उत्खनन :- 1922 राखल दास बनर्जी सिंध के लरकाना (पाकिस्तान )

पशुपति की मोहर - योगी की मुद्रा में  
गेंडा, भैसा , चीता, हाथी और हिरण 







➤ अन्नागार
➤ भवनों का निर्माण पक्की लाल ईटो से 
➤ पुजारी की मूर्ति :- पत्थर (सिर भारी, जबड़े चौड़े ,होठ भद्दे , तस्तरी नुमा कान )
➤ स्नानागार(39*29*8) :- कुल 6 प्रवेश द्वार स्नानागार के पश्चिम दिशा में बरामदा नहीं है और दक्षिण की तरफ सीढ़ियां हैं


वृषभ प्रतिमा - कांस्य  प्रतिमा , चेहरे पर गुस्से व आक्रामकता के भाव, गले में रस्सी 





दाढ़ी वाले योगी - पत्थर से निर्मित, नेत्र समाधि अवस्था में त्रिफुलिया वाले उत्तरीय ओढ़े हुए







नर्तकी - कांस्य  प्रतिमा, 9 सेंटीमीटर की बनी हुई
दाहिना हाथ कमर पर और बाया पैर ताल देने की मुद्रा मे मुड़ा हुआ है ,
बाई भुजा में चूड़ियों से ढकी हुई बाजु और दाये हाथ में कड़ा और बाजूबंद 
लॉस्ट वैक्स प्रोसेस से बनाया हुआ, गले में हार, केश सर के पीछे जुडे के रूप में गुंथे हुए  




मोहन जोदड़ो से प्राप्त वस्तुऐ

➤ टिकरी में नाव का रेखा चित्र,
➤ भट्टे में गले हुए तांबे के ढेर,
➤ संगमरमर के साक्ष्य, कुएँ के साक्ष्य और प्रोहित आवास 
➤ नुकीली किनारे के गिलास कटोरी,
➤ चिकनी मिट्टी के बने पकाए बर्तन, बकरी हिरण गीदड़ लाल मिट्टी के बर्तनो पर  
➤ मोहर :- हम्पड बैल (सर्वाधिक सुंदर आकृति)
             वृषभ व हिरन का सयुक्त रूप 
             ठीकरे पर अंकित देव के सामने बंधे पशु बली 
➤ सूती वस्त्र के साक्ष्य


    
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